सावधान! ठगी का नया खेल, सरकारी वेबसाइट हैक कर किसानों के खाता नंबर की जगह हैकर्स ने डाला अपना अकाउंट नंबर

राजस्थान में किसानों का अकाउंट हैक किया गया है. साइबर ठगों ने पटवारी, तहसीलदार, बीडीओ और एसएसओ की आईडी को हैक कर किसानों के अकाउंट नंबर को डिलीट कर अपना अकाउंट नंबर जोड़ दिया है.

DMIS Portal Hacked: राजस्थान में किसानों का अकाउंट हैक होने का मामला सामने आया है. साइबर ठगों ने देश भर में आतंक मचा रखा है. आधुनिक दुनिया में साइबर ठग आम लोगों को तो निशाना बना ही रहे हैं. अब सरकारी वेबसाइट पर भी हमला बोल रहे हैं. ताजा मामला राजस्थान का है जहां आपदा प्रबंधन विभाग के आधिकारिक वेबसाइट (DMIS Portal) को हैक कर लिया गया. इसके जरिए साइबर ठगों ने किसानों के उन खातों को निशाना बनाया है जिसमें पीएम सम्मान निधी की राशि सरकार सीधे अकाउंट में ट्रांसफर करती है. अब साइबर ठगों ने सीधे गरीब किसानों के खातों से सीधे राशि हड़पने का प्लान बनाया है.

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इन दिनों आपदा प्रबंधन एवं नागरिक सुरक्षा विभाग की ओर से किसानों को फसलों के नुकसान के लिए अनुदान राशि अकाउंट में ट्रांसफर कर रही है. लेकिन साइबर ठगों ने आधिकारिक वेबसाइट को हैक कर पटवारी, तहसीलदार, बीडीओ और एसएसओ की आईडी को हैक किया है.

किसानों के खाते की जगह ठगों ने डाला अपना अकाउंट नंबर

साइबर ठगों ने पटवारी, तहसीलदार, बीडीओ और एसएसओ की आईडी को हैक कर किसानों के अकाउंट नंबर को डिलीट कर अपना अकाउंट नंबर जोड़ दिया है, जिससे की सरकार जब भी पैसे ट्रांसफर करे तो यह पैसा सीधे साइबर ठगों के अकाउंट में चला जाए. बताया जा रहा है यह खेल प्रदेश भर में किया जा रहा है. जबकि अकेले बाड़मेर में 3000 किसानों के अकाउंट को हैक करने की बात सामने आई है.

किसानों के डेटा से छेड़छाड़

बताया जा रहा है कि साइबर ठगों ने किसानों के आधार और जन आधार डेटा से छेड़छाड़ किया है और हजारों किसानों के अकाउंट नंबर को डिलीट कर दिया है. हालांकि जैसे ही इस बात की जानकारी विभाग को हुई है, फौरन DMIS पोर्टल से सभी जिलों में होने वाले ट्रांजेक्शन को रोक दिया गया है. इसके साथ पूरे मामले की जांच भी शुरू कर दी गई है.

सावधान! ठगी का नया खेल, सरकारी वेबसाइट हैक कर किसानों के खाता नंबर की जगह हैकर्स ने डाला अपना अकाउंट नंबर

राजस्थान में किसानों का अकाउंट हैक किया गया है. साइबर ठगों ने पटवारी, तहसीलदार, बीडीओ और एसएसओ की आईडी को हैक कर किसानों के अकाउंट नंबर को डिलीट कर अपना अकाउंट नंबर जोड़ दिया है.

इस मामले में यह भी माना जा रहा है कि इस मामले में काफी लोगों की मिलीभगत हो सकती है. क्योंकि इतनी बड़ी घटना आसानी से नहीं की जा सकती है.

 

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